यौन समस्या / लैंगिक समस्या / सेक्सोलोजी
आज 30 से 40 प्रतिशत शादिया योग्य यौन शिक्षण (Sex Education) के अभाव से टूटती है. एक रिलेशनशिप काफी गलतफेमीओ के अधीन होती है, खासकर तब जब यौन जीवन परेशान या खत्म हो जाता है. वैद्यकिय सलाह लेने के बजाये हम ऐसे मुद्दे पर चुप रहना चाहते है.
इस इंटरनेट के युग मे बहोत से बार लोगोकों गलत या अपूर्ण जानकारी की वजह से बहोत बार यौन समस्या का सामना करना पड़ता है. आज भी 50% के ऊपर लोग इन समस्याओ के लिए भोंदू वैद्य के पास जाते है.
सेक्स केवल पुनरुत्पाद (REPRODUCTION) के लिए नहीं है, यह एक खुशी देनेवाला और तनाव से राहत भी देनेवाला है. हमे ब्रह्मचर्य को उसके पारंपरिक अर्थ संयम से हटकर व्यपाक अर्थ मे समझनेकी आवशक्यता है. सही समय, सही अनुपात मे, पूर्ण समर्पण और खुश मन के साथ संभोग करना ब्रह्मचर्य का एक हिस्सा है.
हमारे क्लीनिक मे हम काउंसिलिंग सेशन के दौरान यौन समस्या का मुख्य कारण ढूंढकर उसके अनुसार यौन शिक्षण आवश्यकतानुसार आयुर्वेद औषधि, पुष्प औषधि इनका प्रयोग करते है.
शीघ्रपतन / PREMATURE EJACULATION
समय से पहले वीर्य का स्खलित हो जाना शीघ्रपतन है. यह “समय” कोई निश्चित समय नहीं है, पर जब “एंट्री” के साथ ही “एक्ज़िट” होने लगे या स्त्री-पुरुष अभी चरम पर नहीं पहोचे और स्खलन हो जाए तो यह शीघ्रपतन (PREMATURE EJACULATION) है. यह वह स्थिति है जिसमे पुरुष की इच्छा के विरुद्ध उसका वीर्य अचानक स्खलित हो जाये, स्त्री सहवास करते हुए संभोग सुरू करते ही वीर्यपात हो जाए और पुरुष रोकना चाहकर भी वीर्यपात होना रोक ना सके, अर्धबीच मे अचानक ही स्त्री को संतुष्टि व तृप्ति प्राप्त होने से पहले ही पुरुष का वीर्य स्खलित हो जाना या निकल जाना, इसे शीघ्रपतन होना कहते है.
सामान्यत: मेडिकल रूप से वीर्य जल्दी निकलना या स्खलित होना कोई शारीरिक समस्या नहीं पैदा करता है, मगर यह सेक्स को कम आनंददायक बनाता है, और अपने साथी के रिश्तो पर प्रभाव डालता है, यह निराशाजनक हो सकता है. अक्सर ऐसा होता है और समस्याए बढ़ती जाती है. क्यूकी अपने साथी की सेक्स संतुष्टि एक स्वस्थ और खुशनुमा जीवन के लिए आवश्यक है. ऐसे मे असंतुष्टि, ग्लानि, हिन भावना, नकारात्मक विचारोका आना एवं अपने साथी के साथ संबंधों मे तनाव आना मुमकिन है.
शीघ्रपतन की सब से खराब स्थिति यह होती है की संभोग क्रिया शुरू होते ही या होने से पहले वीर्यपात हो जाता है. संभोग की समयावधि कितनी होनी चाहिए यानि कितनी देर तक वीर्यपात नहीं होना चाहिए इसका कोई निश्चित मापदंड नहीं है, यह प्रत्येक व्यक्ति की मानसिक एवं शारीरिक स्थिति पर निर्भर होता है. इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ सेक्सुयल मेडिकल के विशेषज्ञो के अनुसार इंटरकोर्स सुरू होने से 60 सेकंड के भीतर ही अगर किसी पुरुष का वीर्य स्खलन हो जाता है तो इसे शीघ्रपतन (PREMATURE EJACULATION) कहा जाएगा… रिपोर्ट मे यह भी कहा गया है की विश्वभर मे 30 फीसदी पुरुष इस यौन-व्याधि (SEXUAL DISORDER) से परेशान है.
शीघ्रपतन के प्रकार
शीघ्रपतन दो प्रकार के होते है.
- प्राथमिक शीघ्रपतन : जिस मे आपको हमेशा समस्या रहती है. यह पहली बार हुए शीघ्रपतन से आजीवन शीघ्रपतन बना रहता है.
- माध्यमिक शीघ्रपतन : ( या अधिग्रहित शीघ्रपतन ) जो आपको हाल ही मे हुआ है.
शीघ्रपतन का मुख्य कारण
मनोवैज्ञानिक
- अपराध बोध या अपर्याप्तता की भावना (संभोग क्रिया के प्रति नकारात्मक भावना )
इसमे पुरुषो के मन मे संभोग करना कोई बड़ा अपराध है ऐसा उसे महसूस होता है.
- यौन शोषण
आज के समय मे यौन शोषण सिर्फ महिलाओ तक ही सीमित नहीं रह गया है, बल्कि पुरुषो को भी इसका सामना करना पड़ सकता है. जो पुरुष यौन शोषण का शिकार हुए है उनके लिए यह भी एक कारण हो सकता है.
- डिप्रेशन
इसका एक कारण है डिप्रेशन, अधिकतर यह उन पुरुषो मे मे भी होता है जो डिप्रेशन मे रहते है, डिप्रेशन से शरीर मे ऐसे हार्मोन्स बनते है जो शीघ्रपतन का कारण होते है. यौन प्रदर्शन का बेहतर ना होना भी एक कारण हो सकता है, इस लिए डिप्रेशन मे ना रहे. अपने मन मे चल रही दुविधा को अपने साथी से साझा करे.
- शरीर की खराब छवि
कुछ पुरुषो को अपने शरीर की छवि पसंद नहीं होती और मन मे यही विचार आते रहेते है जिसकी वजह से भी उनके साथ यह समस्या उत्पन्न हो जाती है.
- रिश्ते की नवीनता
प्रारंभिक यौन अनुभव या जब रिश्ता नया होता है, पहली बार यौन संबंधो मे आते है तब भी ऐसा हो सकता है. पहली बार यौन संबंध बनाने का उत्साह / अति उत्साह या बहुत अधिक उत्तेजना भी एक कारण है।
- संबंध तनाव.
शारीरिक व्याधिया
१ थायराइड
२ मधुमेह
३ अत्यधिक शराब का सेवन
४ अवैध नशीली दवाओ का प्रयोग
५ प्रोटेस्ट
६ आनुवंशिक
७ असामान्य हार्मोन का स्तर
८ नुरोट्रांसमीटर के अनियमित स्तर
लक्षण : –
- स्खलन हमेशा यौन प्रवेश प्राप्त होने से पहले या प्रवेश के लगभग 1 मिनिट मे हो जाता है.
- शीघ्रपतन का मुख्य लक्षण स्खलन मे असमर्थता या स्खलन मे देरी करने मे असमर्थता.
- नकारात्मक व्यक्तिगत परिणाम उत्पन्न होने लगते है, जैसे की निराशा, भय, यौन संबंध से बचना इत्यादि.
माध्यमिक लक्षण में शामिल है :
1 पारस्परिक कठिनाई : इससे आपस में एक-दूसरे को कठिनाई महसूस होने लगती है, परस्पर रहने मे कठिनाई होना.
2 रिश्तो मे विश्वास का कम होना. शीघ्रपतन की वजह से संबंध में निराशा आ जाती है और रिश्तो मे विश्वास कम हो जाता है.
3 मानसिक संकट : पुरुषो को मानसिक संकट का सामना करना पड़ता है, वह मन ही मन निरास हो जाते है.
4 शर्मिंदगी : शर्म महसूस होने लगती है, पुरुष के मन में इस बात को लेकर शर्मिंदगी होने लगती है.
5 डिप्रेशन : साथी को बताए बिना मन ही मन डिप्रेशन होने लगता है, जो अन्य बीमारियों को भी जन्म देता है.
6 चिंता : बहुत से पुरुष चिंताग्रस्त हो जाते है.
शीघ्रपतन यह व्याधि 90 प्रतिशत लोगो में ठीक होने जैसी है. हमारे यहा हम व्याधि का निदान करके आवश्यकतानुसार मनोविज्ञान चिकित्सा, सेक्स एज्युकेशन के माध्यम से समय बढ़ाने के लिए कुछ विशेष टेकनिक्स सिखाते है, साथ ही मे दुष्परिणाम विरहित आयुर्वेद औषधिया आवश्यकतानुसार देते है. बढ़ती उम्र के साथ शरीर मे होने वाले बदलो के वजह से व्याधि ना हो इसके लिए हम रसायन और वाजीकरण चिकित्सा का भी उपयोग करते है, जो आपकी सेक्स लाइफ बढ़ती उम्र के साथ और भी मजेदार खुशनुमा करती है.
इरेक्टाइल डिसफंकशन / स्तंभन दोष / नपुंसकता
इरेक्टाइल डिसफंकशन जिसे आम बोलचाल की भाषा मे नपुंसकता भी कहते है, उन पुरुषो के लिए इस्तेमाल होने वाला टर्म है जिन्हे सेक्स के दौरान या तो इरेक्शन बिलकुल नहीं होता, या फिर अगर होता भी है तो वे इरेक्शन को बरकरार नहीं रख पाते और वह कुछ सेकंड मे ही खत्म हो जाता है.
लक्षण : पुरुष का सेक्स के दौरान इरेक्शन और पेनीट्रेशन न होना इरेक्टाइल डिसफंकशन का सबसे बड़ा लक्षण है. इसके अलावा स्तंभन दोष से पीड़ित पुरुष खुद में निम्न लक्षण पाता है.
1 यौन इच्छा में कमी आना
2 लिंग में उत्तेजना लाने में परेशानी होना
3 समय से पहले स्खलन होना
4 स्खलन मे देरी होना
5 पर्याप्त उत्तेजना होने के बाद भी सेक्सुअली संतुष्ट नहीं होना.
6 सेक्सुअली इंटरकोर्स के दौरान उत्तेजना को बनाए रखने में परेशानी होना.
इन सबके अलावा इरेक्टाइल डिसफंकशन से पीड़ित पुरुष खुद में कुछ भावनात्मक लक्षणो को अनुभव कर सकते है, जैसे की मन चिंतित और उदास रहना, शर्म और लज्जा महसूस करना आदि.
इरेक्टाइल डिसफंकशन के मुख्य कारण :
मनोवैज्ञानिक : इनमे से कुछ कारण हो सकते है.
1 तनाव
2 डिप्रेशन
3 चिंता
4 रिश्तो में समस्या
5 पॉर्न की लत
6 सेक्स परफॉर्मेंस की चिंता
7 आत्मसन्मान में कमी
8 रक्त परिसंचरण संबन्धित समस्याए
जब कोई मनुष्य यौन रूप से उत्तेजित होता है तब उसके लिंग में रक्त का प्रवाह बढ़ना शुरू होता है, उस समय अगर मनुष्य इससे और उत्तेजक बनाना चाहता है तो खून का दौर या प्रवाह अधिक तेजी से होने लगता है. जब लिंग की मासपेशियों में रक्त का यह प्रवाह पूरी तरह भर जाता है तब लिंग कठोर हो जाता है.
कोलेस्टेरोल, डायबिटीज़, हाइ ब्लडप्रेशर और एंथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों का अकड़ना) आदि रोग की वजह से रक्त परिसंचरण में बाधा आती है और इरेक्टाइल डिसफंकशन होता है.
सर्जरी :
पेल्विस की सर्जरी या प्रोस्टेट कैंसर का उपचार करने वाली प्रोस्टेट सर्जरी के दौरान अक्सर उन नसों को क्षति पहुँच जाती है जो इरेक्शन / स्तंभन को बनाए रखने में आवश्यक होती है. इसलिए सर्जरी के बाद होने वाली क्षति भी इस समस्या का कारण बन सकती है.
शराब का सेवन :
लंबे समय तक शराब का सेवन करने से नपुंसकता का खतरा बढ़ जाता है.
चोट :
रीढ़ की हड्डी या पेल्विक में चोट लगने पर स्तंभन / उत्तेजित करने वाली नस कट या फट सकती है, जिस के कारण इरेक्टाइल डिसफंकशन हो सकता है.
हार्मोनल विकार
टेस्टीकुलर फेल्यूअर और पिट्यूटरी ग्रंथि संबंधित समस्याए या कुछ अन्य प्रकार की दवाओं का सेवन करने से टेस्टोस्टेरोन में कमी आ सकती है जिस से स्तंभन दोष का खतरा बढ़ जाता है.
इन सब के अलावा दुसरे भी ऐसे कारण है जिनसे इरेक्टाइल डिसफंकशन का खतरा बढ़ सकता है.
इसमे कैंसर से पीड़ित होना, कैंसर का उपचार करना, हेरोइन, गाँजा और कोकीन का सेवन और कुछ खास प्रकार की दवाओं का सेवन करना शामिल है.
स्तंभक दोष / नपुंसकता / इरेक्टाइल डिसफंकशन में अगर मानसिक कारण है तो उसके लिए सायको सेक्सुयल काउंसिलिंग, सेक्स एज्यूकेशन, सेक्स थेरेपी और आयुर्वेद औषधि आवश्यकतानुसार पंचकर्म का प्रयोग करते है, इससे रुग्ण सुखी संसारिक जीवन व्यतीत कर सकता है.
धातु रोग :
जब भी किसी पुरुष के मन में काम या सेक्स की भावना बढ़ जाती है तो लिंग अपने आप ही कडा हो जाता है, और ऊसका अंग उत्तेजना की अवस्था में आ जाता है. इस अवस्था में व्यक्ति के लिंग से पानी के रंग जैसी पतली लेस / सीक्रीशन के रूप में निकलने लगती है. लेस बहुत कम होने के कारण ये लिंग से बाहर नहीं आ पाती है, लेकिन जब व्यक्ति काफी अधिक देर तक उत्तेजित रेहता है तो ये लेस लिंग के मुह के ऊपरी हिस्से में आ जाता है, यह वीर्य नहीं होता, यह सीक्रेशन संभोग के समय लुब्रिकेशन का काम करता है. अगर इसका स्त्राव बढ़ जाता है तो बहोत से बार यह पेशाब के साथ या वैसे भी बाहर आता है, इसे धातु रोग कहते है.
कारण :
1 अधिक कामुक और अश्लील विचार रखना
2 मन का अशांत रहना
3 अक्सर किसी बात या किसी तरह का दु:ख मन में होना
4 दिमागी कमजोरी होना
5 व्यक्ति के शरीर में पौषक पदार्थो और तत्वों व विटामिन्स की कमी हो जाने पर
6 किसी बीमारी के चलते अधिक दवाई लेने पर
7 व्यक्ति का शरीर कमजोर होना और उसकी प्रतिरोधक क्षमता की कमी होना
8 अक्सर किसी बात की चिंता करना
9 पौरुष द्रव का पतला होना
10 यौन अंगो की नसों में कमजोरी आना
11 अपने पौरुष पदार्थ को व्यर्थ में निकालना व नष्ट करना (हस्तमैथुन अधिक करना)
लैंगिक शिक्षण के अभाव की वजह से कभी-कभी इस व्याधि के बारे में ज्यादा सोच कर लोग अपना मानसिक आरोग्य खराब कर लेते है, ऐसी स्थिति में 50 प्रतिशत रुग्ण को सिर्फ अच्छे समुपदेशन से हम ठीक कर सकते है, और बाकी लोगो को हमारी आयुर्वेद चिकित्सा काफी कारगर सिद्ध होती है.
संभोग अनैइच्छा / LOW SEX DERIVE
लिबिडो कम होना एक प्रकार की यौन समस्या (sexual problem) है, और यह पुरुष और महिला किसी को भी हो सकती है.
कई बार इससे सेक्सुअल लाइफ प्रभावित होती है और इसका इलाज ना कराया जाए तो इसका नाकारात्मक असर आपके शादीशुदा जिंदगी पर भी पड़ने लगता है. कामेच्छा, यौन शक्ति, पुरुषों में सेक्स के प्रति उदासीनता के कारण आत्मविश्वास भी कम होने लगता है. लिबिडो के कम होने के कई कारण (Causesof low libido) हो सकते है. सेक्स हार्मोन का इम्बेलेंस होना, मोटापा, अधिक शराब और स्मोकिंग का सेवन, कोई गंभीर रोग, अधिक दवाओं का सेवन, रिश्तो में तनाव, नींद पर्याप्त ना लेना, डिप्रेशन आदि.
इस बीमारी में हमारी सेक्स काउंसिलिंग, रीलेक्सेशन थेरेपी असरदार होती है.
संभोग के बाद थकावट, हस्तमैथुन संबंधित व्याधि या संभोग मे पीड़ा, लिंग के आकार/साइज़ संबंधित व्याधि या इत्यादि यौन समस्या के लिए हमारे पास उपचार उपलब्ध है.
PREMARRIAGE COUNSELLING & PREMARITAL CHECK UP
भारत में सेक्स एज्यूकेशन का अभाव होने की वजह से नवविवाहित कपल्स में काफी सारे चीजों के बारे में मिसअंडरस्टैंडिंग होती है. कुछ चीजोंका उन्हे ज्ञान नहीं होता. आज रिश्तो की अहमियत उसका महत्व पता न होने की वजह से भी बहुत से रिश्ते कुछ ही दिनों मे तुट जाते है, बहोत से विवाह तलाक मे परिवर्तित होते है. शिक्षण के अभाव की वजह से बहुत से लोग इन्फ़र्टिलिटी/ बांझपण का भी शिकार होते है. हम यौन शिक्षण के माध्यम से कपल्स को शादी के मूल्यो, रीतिरिवाज, स्वस्त सुखी संबंधो के रहस्यो के बारे मे बताते है. इससे उन्हे बिना किसी हिचकीचाहत से आत्मविश्वास के साथ नया जीवन शुरू करने मे मदत मिलती है.
प्री-मेरेज चेकअप में हम एच.आई.व्ही., एस.बी.एस.जी., सोनोग्राफी, सिमन/वीर्य परीक्षण इत्यादि टेस्ट करते है.
COUPLE /MARRIAGE COUNSELING
आजकल तनाव, व्यसन, डिप्रेशन, सक्सायडल बिहेवियर, यौन समस्याए तरुणो में बढ़ रही है. इसके अलावा डायबिटिस, हार्ट डिसिज इससे भी उम्र कम हो रही है. इन सभी चीजों की वजह से कपल्स के बीच शारीरिक और मानसिक संबंध प्रतिदिन खराब हो रहे है. हमारे कौंसेलिंग के बीच हम कपल्स को अच्छे संबंध किस प्रकार बनाए/निभाए, वैवाहिक जीवन में संभोग की आवश्यकता इसके प्रति जानकारी देते है. अगर किसी मे कुछ समस्या होती है तो उसे हम आवश्यकतानुसार औषधि से ठीक करते है.
SEX COUNSELING
90 प्रतिशत सेक्स समस्या मानसिक कारण से होती है, केवल 10% शारीरिक कारण से होती है. हार्मोन इनबेलेंस, टेस्टेरोन में कमी, अंडकोष की चोट या विकार, डायबिटिस, हार्ट डिसिज, यकृत के विकार इन शारीरिक व्याधियों की जाच करके उसे ठीक किया जा सकता है.
मानसिक कारण में कपल्स के बीच का तनाव, इन्कम संबंधित मानसिक तनाव, पुरुष के प्रदर्शन पर पत्नी द्वारा उठाए गए आरोप, पत्नी का आक्रमक और प्रभुत्वपूर्ण स्वभाव, पत्नी के चरित्र के बारे में संदेह, विवाहेत्तर संबंध इत्यादि आते है. यह सब कारण परिश्थितिजन्य है. परिश्थिती बदलने से सब चिजे खत्म हो सकती है. इनके लिए हम कौंसेलिंग और औषधि चिकित्सा करते है. कौंसेलिंग में हम सेक्स एज्यूकेशन, पर्सनल कौंसेलिंग और कपल्स कौसेलिंग करा के रिश्तो की अहमियत बढाते है.